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बुधवार, 20 अगस्त 2008

संस्कार के ताने

आओ बच्चों !
हम सब मिल एक कविता बनायें,
जिसे देश भर के बच्चे,
मिल एक साथ में गायें।
चंदामामा को ले गोदी
उसको खूब खिलायें
दूध-पतासा चम्मच भर-भर
उसको खूब पिलायें।
बहुत हो गया
"टिंकल-टिंकल"
अपने गीत बनाये।
मम्मी-पापा को भी,
आगे बढ़ ऐसी बात बतायें।
रोज-रोज जब सुनना पड़ता है,
संस्कार के ताने,
उनसे पूछो
किसने दिये किताबों में,
छिपा-छिपा के दाने।


शम्भु चौधरी, एफ.डी. - 453, साल्टलेक सिटी, कोलकाता- 700106

2 विचार मंच:

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Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर.

Unknown ने कहा…

शंभू जी, शुक्रिया. बेहतरीन कविता, उम्दा लेखन-मुकुंद
09914401230

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